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मैंने बरसों तक अपनी एंग्जायटी को इग्नोर किया और एक दिन मेरा सांस लेना भी दूभर हो गया

mohit by mohit
September 28, 2020
in mental-health
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मैंने बरसों तक अपनी एंग्जायटी को इग्नोर किया और एक दिन मेरा सांस लेना भी दूभर हो गया
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लगातार पैनिक अटैक आने के बाद मुझे समझ आया कि मानसिक स्वास्थ्य को इग्नोर करना कितनी बड़ी गलती हो सकता है।

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इसकी शुरुआत सामान्य और साधारण स्टेज फियर से हुई जब स्कूल में सबके सामने कुछ बोलने पर घबराहट होती थी। आगे चलकर जॉब इंटरव्यू से पहले भी ऐसे ही एंग्जायटी होने लगी। गाड़ी चलाना सीखते वक्त कई दिन तक यह एंग्जायटी रही।

एंग्जायटी होने पर एक दम से हाथ पैर कांपने लगते थे, गला सूख जाता था, शरीर ढीला पड़ जाता था जैसे जान ही ना हो, स्पाइन में थरथराहट महसूस होने लगती थी। ज्यादा गम्भीर स्थिति में तो पैर इस तरह कांपते थे कि खड़ा होना मुश्किल हो जाता था और सांस लेना मुश्किल हो जाता था। ऐसा लगता था मैं डूब रही हूं।

एंग्जायटी एक गंभीर समस्या बन सकती है, इसे हल्के में ना लें। चित्र: शटरस्‍टॉक

अच्छी बात यह थी कि यह हर समय नहीं होता था। बस कुछ परिस्थितियों में ऐसा होता था। लेकिन देखते ही देखते यह एंग्जायटी छोटी-छोटी बातों पर भी होने लगी। जब भी वजन कुछ बढ़ जाता, किसी ऐसे व्यक्ति का फोन आता, जिनसे मैं बात नहीं करना चाहती थी, रिश्तों में समस्या आती या कोई मुझसे जोर से बात कर लेता, पैनिक अटैक आ जाते। और कई बार तो बिना बात अचानक से पैनिक अटैक आने लगे।

यह साधारण स्टेज फियर नहीं था

यूनाइटेड किंगडम नैशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के अनुसार,”एंग्जायटी बेचैनी की भावना है, जो बहुत हल्के से बहुत अत्यधिक हो सकती है। इसमें आपको चिंता या डर महसूस होगा। पैनिक एंग्जायटी का सबसे गम्भीर रूप है।”

थोड़ी बहुत चिंता होना सामान्‍य है, जब तक यह आपका दैनिक जीवन प्रभावित नहीं करती। चित्र: शटरस्‍टॉक

एंग्जायटी एंड डिप्रेशन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका के मुताबिक पैनिक डिसॉर्डर, जो एक प्रकार का एंग्जायटी डिसॉर्डर है, तब होता है जब व्यक्ति को बिना वजह अचानक से एंग्जायटी महसूस होने लगती है। इसके लक्षण होते हैं- एक दम से दिल की धड़कन का बढ़ जाना, पसीना आना, मांसपेशियों का ऐंठना, सांस लेने में दिक्कत होना, गले में टाइटनेस महसूस होना, कांपना या शरीर का तापमान बढ़ जाना और बेचैनी होना।

मैं अब तक डिनायल में थी कि मैं एंग्जायटी से नहीं गुजर रही, लेकिन जब मैंने पढ़ा कि सभी लक्षण मेरे लक्षणों से मिलते हैं तो मुझे यकीन हो गया। मुझे पैनिक डिसॉर्डर था।
मेरी लाइफ बिल्कुल सामान्य थी, मैं स्वस्थ थी, बचपन अच्छा बीता था, बहुत अच्छे माता-पिता, सपोर्ट करने वाले दोस्त, अपनी मर्जी का जीवन साथी और अपनी पसंद की नौकरी कर रही थी। मेरा जीवन मेरे अनुसार था। इसलिए मैं यह मानने को तैयार नहीं थी कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूं। लेकिन जब मुझे यह पता चला कि मैं पैनिक डिसॉर्डर से गुजर रही हूं तो मुझे अपने डिनायल से बाहर भी निकलना था।

क्यों हुई मुझे यह समस्या

जब मैं अपने जीवन को देखती तो यही लगता कि सब तो है मेरे पास, मुझे किस चीज की चिंता है इसलिए मुझे मानसिक रोग नहीं हो सकते। जो बातें मुझे परेशान करती थीं, सभी की तरह मैं भी उन बातों को दिमाग के किसी कोने में दबा देती थी।
दूसरी बड़ी गलती जो मैं कर रही थी, वह था अपनी समस्या का बड़ा कारण ढूंढना। जैसे हम कहते हैं,”सुशांत सिंह राजपूत इतना सफल था, सब कुछ था उसके पास, उसे क्यों डिप्रेशन होगा?” कुछ उसी तरह हम यह भी सोचते हैं “अच्छा खासा सेटल्ड जीवन है, कोई चिंता नहीं है, फिर एंग्जायटी किस बात की?”

चिंता और एंग्जायटी में फर्क है, यह समझना जरूरी है। चित्र- शटरस्टॉक।

हमें यह बात समझनी होगी कि तनावग्रस्त या डिप्रेस्ड होने के लिए कोई बड़ी समस्या जैसे पैसे की तंगी, किसी अपने को खो देना, ब्रेकअप या अतीत की कोई बुरी घटना का होना जरूरी नहीं है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के शोधकर्ताओं के अनुसार दिमाग की केमिस्ट्री में कोई भी समस्या एंग्जायटी का कारण होती है, और इसके लिए जेनेटिक्स या पर्यावरण भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

जिसे मुन्ना भाई ‘केमिकल लोचा’ कहते थे, वही हमारी एंग्जायटी का कारण होता है।
लेकिन मैंने कारण ढूंढने में समय बर्बाद करने के बजाय इलाज की ओर बढ़ना बेहतर समझा
मेरी सांस ना ले पाने की समस्या को पहले डॉक्टर एलर्जी, कोविड-19, फेफड़ों में इंफेक्शन इत्यादि से जोड़ते रहे, और कोई भी कारण ना पा कर मेरे डॉक्टर ने मुझसे पूछ ही लिया कि क्या मुझे किसी बात का तनाव है!

हम दोनों को ही यह बात समझ आ गयी थी कि मेरी समस्या का समाधान एंटीबायोटिक्स नहीं थेरेपी है। इसके बाद मैं कई एंग्जायटी पिल्स लेती थी। जिनसे मुझे थकान होने लगती थी, नींद आती थी और चिड़चिड़ापन होता था। लेकिन कम से कम अब मैं सांस ले पा रही थी।

अंत में यही कहूंगी…

यह सब एक महीने पहले की ही बात है, इसलिए अभी मेरा यह कहना कि मैं बिल्कुल ठीक हो चुकी हूं, गलत होगा। लेकिन जो मेरी स्थिति हो गयी थी, जहां मुझे कोशिश करने के बाद भी सांस नही आती थी, उससे बेहतर स्थिति में हूं यह जरूर कह सकती हूं। मानसिक स्वास्थ्य को हल्के में लेना मेरी बहुत बड़ी भूल थी, और मैं आप से भी यही कहना चाहूंगी।
अगर आपको यह लक्षण खुद में या किसी और में दिखें, तो एंग्जायटी की संभावना मान कर चलें। एंग्जायटी डिसॉर्डर को झेलना आसान नहीं है, इसलिए सही इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक है।





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Tags: AnxietyAnxiety Disorderdealing with anxietyhow to treat anxietypanic attacksएंग्जायटी का इलाजएंग्जायटी क्या हैक्यों होती है एंग्जायटीपैनिक डिसॉर्डरमानसिक स्वास्थ्य
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